चरित्र पर सुविचार

 1.सम्पति, प्रभाव, पद, शक्ति- ये उपलब्धियां आचरण के अभाव में बहुत कम मूल्य रखती हैं. Character की विशालता नैतिकता का व्यवहार पक्ष हैं.


2.एक कर्म का बीज बोओ एक प्रवृति की फसल काटों, एक प्रवृति का बीज बोओ, एक चरित्र की फसल काटों, एक चरित्र का बीज बोओ, एक नियति की फसल काटों.


3.चरित्रवान को सब कुछ प्राप्त है और चरित्रहीन उपलब्ध होकर भी सबकुछ खो देता है।


4.जो इंसान अपनी नजरों में गिर जाता है दुनियां की नजरों में उससे पहले ही गिर जाता हैं।।


5.चरित्र उस पेड़ की तरह है तथा कीर्ति छाया की तरह, अतः हम केवल जिस विषय के बारे में विचार करते है वह तो छाया है मगर असल वस्तु तो पेड़ हैं।


6.जिस इंसान में दया, धर्म निज भाषा प्रेम, चरित्र व आत्मबल नहीं है भला वह भी कोई आदमी हैं ।


7. हमारी शिक्षा व्यवस्था का मूल उद्देश्य बच्चों के चरित्र निर्माण, साहस का विकास एवं सद्गुणों में वृद्धि के प्रति जागृति पैदा करना ।


8.एक पत्नी अपने पति की सम्पति से कभी सुखी या दुखी नहीं होती बल्कि उसके सुख दुःख पति के चरित्र व योग्यता पर निर्भर करते हैं।


9.चरित्र के बजाय

महानता को कपड़ो से आंकने

वाले सर्वथा मूर्ख होते हैं.


10.अभेद्य दीवारों से मार्ग बना लेने की

शक्ति चरित्र में हैं.


11.चरित्र मानव जीवन के लिए एक

परम पावन और आवश्यक निधि है.

उसका निवास संसार में नहीं,

हृदय में होता हैं।


12.चरित्र परिवर्तनशील नहीं

बल्कि उसका विकास होता हैं।।



13.चरित्र की शिक्षा जीवन के ऊँचे मानदंडो के लिए हैं,

जीविका उपार्जन करने के लिए नही।।


14.चरित्र निर्माण ही शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए.

इससे साहस का विकास होगा, गुणों में वृद्धि होगी

और उद्देश्यों के प्रति लग्न जागृत होगी।।


15.चरित्र की शुद्धि तक आकर ज्ञान के

सारे मार्ग रूक जाते हैं।।


16.चरित्र के दर्पण में छोटी-छोटी बातों से

इंसान का व्यवहार झलकता है

न कि लम्बी-चौड़ी बातों से।।


17.जिसका बच्चा चरित्र बनाने के लिए

आज स्कूल गया है,

वही पैसा कमाने के चक्कर में

चरित्र को भूल गया है।।


18.दोहरे चरित्र में नहीं जी पाता हूँ,

इसलिए कई बार अकेला नजर आता हूँ।।


19.आप लोगो का चरित्र नहीं सुधार सकते है,

लेकिन खुद का चरित्र सुधारकर उन्हें प्रभावित कर सकते है।।


20.स्त्रियों के चरित्र पर ज्यादातर वही लोग

सवाल उठाते है जिनका

चरित्र से कुछ लेना-देना नहीं होता है।।


21.सामने तो शहद के समान मधुर वचन

बोले और पीछे निंदा की छुरी मारे, ऐसे

मित्र को त्याग देना बढ़िया है।।


22.नारी के गुण पुरूष में तब आते है,

जब वह माहत्मा बन जाता है.

नारी में पुरूष के गुण आ जाते हैं,

तो कुल्टा हो जाती है।।


23.स्त्री कभी भी पति के दौलत के कारण

सुखी या दुखी नहीं होती। उसका सुख

या दुःख पति की योग्यता और चरित्र

पर निर्भर करता है।।


24.मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि दूसरे मेरे बारे में क्या सोचते हैं, लेकिन मैं इस बात की बहुत परवाह करता हूं कि मैं जो करता हूं उसके बारे में मैं क्या सोचता हूं 


25.प्रतिभा एक उपहार है, लेकिन चरित्र एक विकल्प है।


26.मेरा एक सपना है कि मेरे चार छोटे बच्चे एक दिन एक ऐसे देश में रहेंगे जहां उन्हें उनकी त्वचा के रंग से नहीं बल्कि उनके चरित्र की सामग्री से आंका जाएगा।”


27.मनुष्य को एक अच्छा नागरिक बनाने या अपने पेशे में सफल बनाने के लिए चरित्र बुद्धि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है- चरित्र से मतलब न केवल ईमानदारी और सच्चाई जैसे गुणों से है, बल्कि साहस, दृढ़ता और आत्मनिर्भरता से भी है।


28.एक आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वह नशे में होता है।”


29.मानव महानता धन या शक्ति में नहीं है, बल्कि चरित्र और अच्छाई में है। लोग सिर्फ इंसान होते हैं, और सभी लोगों में दोष और कमियां होती हैं, लेकिन हम सभी एक बुनियादी अच्छाई के साथ पैदा हुए हैं।” –


30.चरित्र बुद्धि से ऊपर है। एक महान आत्मा जीने के साथ-साथ सोचने के लिए भी मजबूत होगी।” – राल्फ वाल्डो एमर्सन

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