जुदाई शायरी:- zudai shayari & Hindi Shyri 2025
1.हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर हम उसे अपनी खता कहते हैं वो तो साँसों में बसी है मेरे जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते हैं। 2.हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते बिन तिरे चाँद सितारे नहीं देखे जाते 3.तेरी तलाश में निकले तो इतनी दूर गए कि हम से तय न हुए फ़ासले जुदाई के 4.मैं एक अरसे से उसका दिल जीतने में लगा था और वो जाते जाते अपना दिल हारकर चली गई। 5.हमारी जब मर्ज़ी होगी तब महक लिया करेंगें हमने आपकी यादों का इत्र बना कर रख लिया है। 6.लम्हे जुदाई को बेकरार करते हैं, हालत मेरे मुझे लाचार करते हैं, आँखे मेरी पढ़ लो कभी,हम खुद कैसे कहे की आपसे प्यार करते हैं. 7.वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है, कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है, जो मुझे तुझसे जुदा करती है, हाथ की उस लकीर से डर लगता है। 8.जब तक मिले न थे जुदाई का था मलाल अब ये मलाल है कि तमन्ना निकल गई 9.यदि आप पिछले अध्याय को दोबारा पढ़ते रहेंगे तो आप अपना अगला अध्याय शुरू नहीं कर पाएंगे। 10.यदि आप स्वयं से प्रेम नहीं करते, तो कोई और आपसे प्रेम कैसे करेगा? 11.हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यों है, अब तो हर वक्त यही बात सताती है हमें ! 12.सब के होते ह...